

– नौसेना में लैंगिक सशक्तिकरण और समावेशी प्रक्रिया के बारे में भी जानकारी दी गई
– महिला अधिकारियों ने नौसेना के प्रयासों को भी समाज के सामने लाने का काम किया
नई दिल्ली, 01 मार्च (हि.स.)। भारतीय नौसेना की महिला अधिकारियों ने मध्य प्रदेश के शहर औरंगाबाद में जी-20 के तत्वावधान में हुई ‘ब्रेकिंग दी बैरियर्सः स्टोरीज ऑफ अनकन्वेंशनल विमेन’ बैठक में अपने अनुभवों और जुड़ाव को साझा किया। महिला अधिकारियों ने बताया कि भारतीय नौसेना में लैंगिक सशक्तिकरण और समावेशी प्रक्रिया का पूरी तरह पालन किया जाता है। विमेन-20 की शुरुआती बैठक में नौसेना अधिकारियों के पास सुनाने के लिये कुछ न कुछ अनोखे और विशेष अनुभव थे।
औरंगाबाद में 27-28 फरवरी को आयोजित विमेन-20 की बैठक में बातचीत करते हुए महिला अधिकारियों ने अपने विचार और वृत्तांत प्रस्तुत किए। लेफ्टिनेंट कमांडर स्वाति भंडारी ने बताया कि कैसे वह ऊंचाई से लगने वाले डर पर विजय हासिल करके कुशल नेवी पायलट बनीं। उन्होंने संचालन, खोज और बचाव मिशनों में कई बार उड़ान भरी है। उन्हें उनकी उपलब्धियों के लिए पिछले महिला दिवस पर नागर विमानन मंत्रालय ने सम्मानित किया था। स्त्री रोग सर्जन कमांडर शाज़िया ख़ान ने डॉक्टर के रूप में और नौकायन के दौरान होने वाले अनुभवों को साझा किया। उन्होंने हाल में राजस्थान में संपन्न होने वाली कार-रैली के अनुभव भी बताये। उन्होंने कहा कि इन सबने उनके व्यक्तित्व को आत्मविश्वास से भर दिया है।
लेफ्टिनेंट कमांडर दिशा अमृत ने गर्व के साथ अपनी उस यात्रा के बारे में बताया, जिसमें उन्होंने एनसीसी गणतंत्र दिवस परेड के दौरान 144 कर्मियों वाले भारतीय नौसेना के दस्ते का नेतृत्व किया। शिपयार्ड में जहाज़ों के निर्माण कार्यों की देखरेख करने वाली लेफ्टिनेंट कमांडर ताविशी सिंह ने युद्धपोतों को लॉन्च करने के पहले की तैयारी से लेकर उनकी आपूर्ति करने तक के अनुभव बताये। आईएनएसवी तारिणी पर तैनात लेफ्टिनेंट कमांडर डिलना और रूपा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये आयोजन में जुड़ीं। वे इस समय दक्षिणी अटलांटिक के सफर पर हैं और नौवहन का प्रशिक्षण ले रही हैं। इस तरह वे नौवहन करने वाली पहली एशियाई महिला बन जायेंगी।
अंत में नौसेना के एक वरिष्ठ सेवारत अधिकारी की पत्नी दीपा भट नायर ने नेवी वेलफेयर एंड वेलनेस संगठन (एनडब्लूडब्लूए) की भूमिका पर अपने विचार रखे। इस संगठन को नौसैनिकों की पत्नियां संचालित करती हैं। श्रीमती नायर खुद भी एक प्रोफेशनल हैं। बदलते समय के साथ एनडब्लूडब्लूए भी आगे बढ़ता रहा और लैंगिक तटस्थता को उसने अपना लिया। श्रीमती नायर ने नौसैनिकों की पत्नियों की भूमिका को रेखांकित किया कि वे कैसे एकजुट होकर नौसैनिकों के परिवारों की देखरेख करती हैं। नौसेना अपने परिजनों की खुद देखभाल करती हैं, लेकिन सैनिकों की पत्नियां भी स्वयंसेवी के रूप में कार्यरत रहती हैं। ये महिला स्वयंसेवी समुद्र में रवाना होने वाले नौसैनिकों को यह विश्वास और ताकत देती हैं कि उनके परिवार वालों की पूरी देखभाल की जायेगी।
भारतीय नौसेना एक बहुआयामी बल है, जो समुद्र की सतह पर, समुद्र के नीचे और समुद्र के ऊपर आसमान में भी काम करती है। जीवन के सभी क्षेत्रों और भारत के सभी हिस्सों के लोग सशस्त्र बलों का हिस्सा हैं। भारतीय नौसेना भी इससे अलग नहीं है। महिलायें पहले भी नौसेना की कुछ शाखाओं में काम करती रही हैं, इसलिए उनकी कहानियां प्रेरणादायक और नारी शक्ति को अपने वास्तविक रूप में दर्शाती थीं। उन्होंने एनडब्ल्यूडब्ल्यूए के तत्वावधान में किए गए विभिन्न कार्यक्रमों के जरिये भारतीय नौसेना के प्रयासों को भी समाज के सामने लाने का काम किया है।
हिन्दुस्थान समाचार/सुनीत/दधिबल